DISCOVER QURAN Reality about Food and cruality to any life ....

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|| कुरान में क्या,क्या खाना हराम है देखें ||


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अल्लाह ने क्या क्या खाना हराम बताया है देखें, हराम का अर्थ
निषिद्ध,वर्जित,निषेध अदि जिसको खाना जायेज नहीं,उचित
नहीं पूरा निषेध है ,वह क्या है कुरान से देखें | ﺇِﻧَّﻤَﺎ
ﺣَﺮَّﻡَ ﻋَﻠَﻴْﻜُﻢُ ﺍﻟْﻤَﻴْﺘَﺔَ ﻭَﺍﻟﺪَّﻡَ ﻭَﻟَﺤْﻢَ ﺍﻟْﺨِﻨﺰِﻳﺮِ ﻭَﻣَﺎ ﺃُﻫِﻞَّ ﻟِﻐَﻴْﺮِ ﺍﻟﻠَّﻪِ ﺑِﻪِ
ﻓَﻤَﻦِ ﺍﺿْﻄُﺮَّ ﻏَﻴْﺮَ ﺑَﺎﻍٍ ﻭَﻟَﺎ ﻋَﺎﺩٍ ﻓَﺈِﻥَّ ﺍﻟﻠَّﻪَ ﻏَﻔُﻮﺭٌ ﺭَّﺣِﻴﻢٌ ﺳﻮﺭﺓ
ﺍﻟﻨﺤﻞ , An-Nahl, Chapter #16, Verse #115 ﺗﻢ ﭘﺮ
ﺻﺮﻑ ﻣﺮﺩﺍﺭ ﺍﻭﺭ ﺧﻮﻥ ﺍﻭﺭ ﺳﻮﺭ ﮐﺎ ﮔﻮﺷﺖ ﺣﺮﺍﻡ ﮐﯿﺎ ﮨﮯ
ﺍﻭﺭﻭﮦ ﭼﯿﺰ ﺑﮭﯽ ﺟﻮ ﺍﻟﻠﻪ ﮐﮯ ﺳﻮﺍ ﮐﺴﯽ ﺍﻭﺭ ﮐﮯ ﻧﺎﻡ ﺳﮯ ﭘﮑﺎﺭﯼ
ﮔﺌﯽ ﮨﻮ ﭘﮭﺮ ﺟﻮﺑﮭﻮﮎ ﮐﮯ ﻣﺎﺭﮮ ﺑﯿﺘﺎﺏ ﮨﻮ ﺟﺎﺋﮯ ﻧﮧ ﻭﮦ ﺑﺎﻏﯽ
ﮨﻮ ﺍﻭﺭﻧﮧ ﺣﺪ ﺳﮯ ﮔﺰﺭﻧﮯ ﻭﺍﻻ ﺗﻮﺍﻟﻠﻪ ﺑﺨﺸﻨﮯ ﻭﺍﻻ ﻣﮩﺮﺑﺎﻥ ﮦ
देखें सूरा नहल जो सूरा न० 16 और आयात 115 है.जो अर्थ इनके
मौलानाओं ने किया है मै उसीको दे रहा हूँ, देखें.=तुमपर
सिर्फ मुरदार. और खून.और सुवर का गोश्त. हराम किया है, और
वह चीज भी जो अल्लाह के
सिवा किसी और के नाम से
पुकारी गयी हो.फिर जो भूक के मारे बेताब
हो जाये न वह बागी हो.और न हदसे गुजरने
वाला.तो अल्लाह बख्शने वाला महरबान |
ﺇِﻧَّﻤَﺎ ﺣَﺮَّﻡَ ﻋَﻠَﻴْﻜُﻢُ ﺍﻟْﻤَﻴْﺘَﺔَ ﻭَﺍﻟﺪَّﻡَ ﻭَﻟَﺤْﻢَ ﺍﻟْﺨِﻨﺰِﻳﺮِ ﻭَﻣَﺎ ﺃُﻫِﻞَّ ﺑِﻪِ ﻟِﻐَﻴْﺮِ
ﺍﻟﻠَّﻪِ ۖ ۚ ﺇِﻧّﺮَّﺣِﻴﻢٌ ﻥَّ ﺍﻟﻠَّﻪَ ﻏَﻔُﻮﺭٌ ﻭَﻟَﺎ ﻋَﺎﺩٍ ﻓَﻠَﺎ ﺇِﺛْﻢَ ﻋَﻠَﻴْﻪِ ﻓَﻤَﻦِ ﺍﺿْﻄُﺮَّ
ﻏَﻴْﺮَ ﺑَﺎﻍٍ
) ﺳﻮﺭﺓ ﺍﻟﺒﻘﺮﺓ , Al-Baqara, Chapter #2, Verse #173)
ﺳﻮﺍﺋﮯ ﺍﺱ ﮐﮯ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﮧ ﺗﻢ ﭘﺮ ﻣﺮﺩﺍﺭ ﺍﻭﺭ ﺧﻮﻥ ﺍﻭﺭﺳﺆﺭ ﮐﺎ
ﮔﻮﺷﺖ ﺍﻭﺭ ﺍﻭﺭ ﺍﺱ ﭼﯿﺰ ﮐﻮ ﮐﮧ ﺍﻟﻠﻪ ﮐﮯ ﺳﻮﺍ ﺍﻭﺭ ﮐﮯ ﻧﺎﻡ ﺳﮯ
ﭘﮑﺎﺭﯼ ﮔﺌﯽ ﮨﻮ ﺣﺮﺍﻡ ﮐﯿﺎ ﮨﮯ ﭘﺲ ﺟﻮ ﻻﭼﺎﺭ ﮨﻮ ﺟﺎﺋﮯ ﻧﮧ
ﺳﺮﮐﺸﯽ ﮐﺮﻧﮯ ﻭﺍﻻ ﮨﻮ ﺍﻭﺭ ﻧﮯ ﺣﺪ ﺳﮯ ﺑﮍﮬﻨﮯ ﻭﺍﻻ ﺗﻮ ﺍﺱ ﭘﺮ
ﮐﻮﺋﯽ ﮔﻨﺎﮦ ﻧﮩﯿﮟ ﺑﮯ ﺷﮏ ﺍﻟﻠﻪ ﺑﺨﺸﻨﮯ ﻭﺍﻻ ﻧﮩﺎﯾﺖ ﺭﺣﻢ ﻭﺍﻻ ﮦ
ﺣُﺮِّﻣَﺖْ ﻋَﻠَﻴْﻜُﻢُ ﺍﻟْﻤَﻴْﺘَﺔُ ﻭَﺍﻟﺪَّﻡُ ﻭَﻟَﺤْﻢُ ﺍﻟْﺨِﻨﺰِﻳﺮِ ﻭَﻣَﺎ ﺃُﻫِﻞَّ ﻟِﻐَﻴْﺮِ ﺍﻟﻠَّﻪِ
ﺑِﻪِ ﻭَﺍﻟْﻤُﻨْﺨَﻨِﻖَﺓُ ﻭَﺍﻟْﻤَﻮْﻗُﻮﺫَﺓُ ﻭَﺍﻟْﻤُﺘَﺮَﺩِّﻱُﺓَ ﻭَﺍﻟﻨَّﻄِﻴﺤَﺔُ ﻭَﻣَﺎ ﺃَﻛَﻞَ
ﺍﻟﺴَّﺒُﻊُ ﺇِﻟَّﺎ ﻣَﺎ ﺫَﻛَّﻴْﺘُﻢْ ﻭَﻣَﺎ ﺫُﺑِﺢَ ﻋَﻠَﻰ ﺍﻟﻨُّﺼُﺐِ ﻭَﺃَﻥ ﺗَﺴْﺘَﻘْﺴِﻤُﻮﺍ
ﺑِﺎﻟْﺄَﺯْﻟَﺎﻡِ ۚ ﺫَٰﻟِﻜُﻢْ ﻓِﺴْﻖٌ ۗ ﺍﻟْﻴَﻮْﻡَ ﻳَﺌِﺲَ ﺍﻟَّﺬِﻳﻦَ ﻛَﻔَﺮُﻭﺍ ﻣِﻦ ﺩِﻳﻨِﻜُﻢْ ﻓَﻠَﺎ
ﺗَﺨْﺸَﻮْﻫُﻢْ ﻭَﺍﺧْﺸَﻮْﻥِ ۚ ﺍﻟْﻴَﻮْﻡَ ﺃَﻛْﻤَﻠْﺖُ ﻟَﻜُﻢْ ﺩِﻳﻨَﻜُﻢْ ﻭَﺃَﺗْﻤَﻤْﺖُ ﻋَﻠَﻴْﻜُﻢْ
ﻧِﻌْﻤَﺘِﻲ ﻭَﺭَﺿِﻴﺖُ ﻟَﻜُﻢُ ﺍﻟْﺈِﺳْﻠَﺎﻡَ ﺩِﻳﻨًﺎ ۚ ﻓَﻤَﻦِ ﺍﺿْﻄُﺮَّ ﻓِﻲ ﻣَﺨْﻤَﺼَﺔٍ
ﻏَﻴْﺮَ ﻣُﺘَﺠَﺎﻧِﻒٍ ﻟِّﺈِﺛْﻢٍ ۙ ﻓَﺈِﻥَّ ﺍﻟﻠَّﻪَ ﻏَﻔُﻮﺭٌ ﺭَّﺣِﻴﻢٌ
) 3 ﺳﻮﺭﺓ ﺍﻟﻤﺎﺋﺪﺓ ﺗﻢ ﭘﺮ ﻣﺮﺩﺍﺭ ﺍﻭﺭ ﻟﮩﻮ ﺍﻭﺭ ﺳﻮﺭ ﮐﺎ ﮔﻮﺷﺖ
ﺣﺮﺍﻡ ﮐﯿﺎ ﮔﯿﺎ ﮨﮯ ﺍﻭﺭ ﻭﮦ ﺟﺎﻧﻮﺭ ﺟﺲ ﭘﺮ ﺍﻟﻠﻪ ﮐﮯ ﺳﻮﺍ ﮐﺴﯽ
ﺍﻭﺭ ﮐﺎ ﻧﺎﻡ ﭘﮑﺎﺭﺍ ﺟﺎﺋﮯ ﺟﻮ ﮔﻼ ﮔﮭﻮﭦ ﮐﺮ ﯾﺎ ﭼﻮﭦ ﺳﮯ ﯾﺎ
ﺑﻠﻨﺪﯼ ﺳﮯ ﮔﺮ ﮐﺮ ﯾﺎ ﺳﯿﻨﮓ ﻣﺎﺭﻧﮯ ﺳﮯ ﻣﺮ ﮔﯿﺎ ﮨﻮ ﺍﻭﺭ ﻭﮦ ﺟﺴﮯ
ﮐﺴﯽ ﺩﺭﻧﺪﮮ ﻧﮯ ﭘﮭﺎﮌ ﮈﺍﻻ ﮨﻮ ﻣﮕﺮ ﺟﺴﮯ ﺗﻢ ﻧﮯ ﺫﺑﺢ ﮐﺮ ﻟﯿﺎ ﮨﻮ
ﺍﻭﺭ ﻭﮦ ﺟﻮ ﮐﺴﯽ ﺗﮭﺎﻥ ﭘﺮ ﺫﺑﺢ ﮐﯿﺎ ﺟﺎﺋﮯ ﺍﻭﺭ ﯾﮧ ﮐﮧ ﺟﻮﺋﮯ ﮐﮯ
ﺗﯿﺮﻭﮞ ﺳﮯ ﺗﻘﺴﯿﻢ ﮐﺮﻭ ﯾﮧ ﺳﺐ ﮔﻨﺎﮦ ﮨﯿﮟ ﺁﺝ ﺗﻤﮩﺎﺭﮮ ﺩﯾﻦ ﺳﮯ
ﮐﺎﻓﺮ ﻧﺎ ﺍﻣﯿﺪ ﮨﻮ ﮔﺌﮯ ﺳﻮ ﺍﻥ ﺳﮯ ﻧﮧ ﮈﺭﻭ ﺍﻭﺭ ﻣﺠﮫ ﺳﮯ ﮈﺭﻭ ﺁﺝ
ﻣﯿﮟ ﺗﻤﮩﺎﺭﮮ ﻟﯿﮯ ﺗﻤﮩﺎﺭﺍ ﺩﯾﻦ ﭘﻮﺭﺍ ﮐﺮ ﭼﮑﺎ ﺍﻭﺭ ﻣﯿﮟ ﻧﮯ ﺗﻢ ﭘﺮ
ﺍﭘﻨﺎ ﺍﺣﺴﺎﻥ ﭘﻮﺭﺍ ﮐﺮ ﺩﯾﺎ ﺍﻭﺭ ﻣﯿﮟ ﻧﮯ ﺗﻤﮩﺎﺭﮮ ﻭﺍﺳﻄﮯ ﺍﺳﻼﻡ
ﮨﯽ ﮐﻮ ﺩﯾﻦ ﭘﺴﻨﺪ ﮐﯿﺎ ﮨﮯ ﭘﮭﺮ ﺟﻮ ﮐﻮﺋﯽ ﺑﮭﻮﮎ ﺳﮯ ﺑﯿﺘﺎﺏ ﮨﻮ
ﺟﺎﺋﮯ ﻟﯿﮑﻦ ﮔﻨﺎﮦ ﭘﺮ ﻣﺎﺋﻞ ﻧﮧ ﮨﻮ ﺗﻮ ﺍﻟﻠﻪ ﻣﻌﺎﻑ ﮐﺮﻧﮯ ﻭﺍﻻ
ﻣﮩﺮﺑﺎﻥ ﮦ
अब जरा हम इन तीन प्रमाणों पर विचार करते है.
जो कुरान में अल्लाहने आदेश दिया है.की तुम्हें
क्या क्या नहीं खाना चाहिए | सूरा मायदा 3 .पर अल्लाह
ने कहा तुमपर मुरदार.और लहू. और सुवर का गोश्त हराम
किया गया है.और वह जानवर.जिसपर अल्लाह के
सिवा किसी और का नाम पुकारा जाये, जो गला घोंट कर या चोट
से या.बुलंदी से गिरकर.या सिंग मारने से मर गया हो.और
वह जिसे किसी दरिन्दे ने फाड़ डाला हो.मगर जिसे तुमने
जबह कर लिया हो.और वह जो किसी थान पर जबह
किया जाये,और जुए के तीरों से तकसीम
करो यह गुनाह हैं आज तुम्हारे दीन से काफ़िर न
उमीद हो गये सो इनसे न डरो मुझसे डरो आज मै तुम्हारे
लिए तुम्हारा दीन पूरा कर चूका.और मैंने तुमपर
अपना अपना अहसान पूरा कर दिया.और मैंने तुम्हारे वास्ते इस्लाम
को ही दीन पसंद किया है, फिर जो कोई भूक
से बेताब हो जाये लेकिन गुनाह पर मायेल न हो तो अल्लाह माफ़
करने वाला महर बान है |
सूरा बकर –आयत -173 में
भी यही कहा गया ,की वह
चीज न खाव ,यही हराम है मुरदार,
सुअर,और खून, और अल्लाह को छोड़ किसी और के नाम
जबह किया गया, हां अगर कोई मज़बूरी में है तो उसे
छोड़ दो | कुल मिला कर यहाँ अल्लाहने मुसलमनो को मुख्य रूपसे चार
चीज खाना हराम करार दिया है | 1 =मरा हुआ,जानवर,
2 –जमा खून, 3- सूअर का गोश्त, 4 –अल्लाह को छोड़
किसी दुसरे केनाम से काटा गया जानवर | यह चार
चीज हराम है. विचार णीय बात है
की पहला शब्द आया मुरदार =मुरदार-का अर्थ है मरा,
यानि जिन्दा खाया नहीं जाता.मुर्दा खाना हराम है | मुर्दा के
मानी मरा है ,तो शारीर में आत्मा रहने का नाम
जिन्दा ,और निकल जाने ने का नाम, है मुर्दा | अब निकलने
का तरीका कैसा भी हो जो ऊपर सूरा मायदा में
बताया,किसी जानवर के सिंह मारने. तीर लगने
आदि से | यह सब मरा है,गर्दन की ओर से काटे.पेटमे
छुरी डालदे. गलाघोंट दे अदि, यह सब मरा है | और
अल्लाह ने कहा मरा मत खाव यह हराम है,तो साहब यह
खाया कब जाता है ? यह मारने के बाद खाते
हैं.या जीवित,मारने के बाद ही खायेंगे |
तो शारीर में आत्मा रहने का नाम जीवित,और
निकलने का नाम मरण, मृत्यु. अब कोई गले की ओर से
काटे,या पेट में छुरी डालदे.या फिर गर्दन से
काटे,मरा.ही कहा जायगा और
यही मरा खाना हराम है अल्लाहने साफ
कहा मरा खाना हराम है. तो यह हलाल किस प्रकार हुवा ?
दूसरी बात अल्लाह ने यह
नहीं कहा की तुम हलाल करके खावो,
सिर्फ निषेध बताया | अब स्वस्थ दिमाग से विचार करें
की लोग इसे समझ कर खा रहे या न सम्झिसे ?
दूसरी बात है की मानवशरीर में
जो नस नाडीयां है वह, इन मांस और
मछली को हज़म करने की ताकत
नहीं रखते. जो लोग मांसाहारी हैं वह
अधिकांश पेट के मरीज होते हैं | उन्हें. कई
रोगों का शिकार होना पड़ता है,मेरा तो तजुर्बा किया हुवा है,मै बना कर
नहीं बोल रहा हूँ
किसी भी हॉस्पिटल में हम देख सकते हैं,
की मांसाहारी ही पेटके
मरीज हैं |
जो लोकाचार की बात है वह यह है की,
हम इन्सान कहलाने का हकदार कैसे बने ? मात्र बुद्धिमान होने के
वलपर,यह तो जानवरों में भी है, किन्तु मानव उस
को अपने वशमे करने हेतु उस से ज्यादा, और उत्कृष्ट
प्राणी माना.और कहा जाता है मानव को | फिर सुनें
मानव.बुद्धिमान अकलमन्द. कहलाता है, जानवर
नहीं कहला सकता अपने को बुद्धिमान, चाहे
कित्नाही ट्रेनिंग उसे दिया अथवा दिलाया जाये,वह जानवर
के जानवर ही रहना है | इस मानव को सिखाया जाये
पढ़ाया जाये. यह दिन बदिन उन्नति करता ही चला जायेगा,
यहाँ तक की यह मानव देवता बनजाता है | जब मानव
अकल के वल पर अपना ,पराया. सही और गलत,उन्नति,
अबुन्नती. स्वस्थ अस्वस्थ सब जनता है |
जानवरों को यह ज्ञान नहीं, वह इस के
नज़दीक भी नहीं आ
सकते,सोचही नहीं सकते |
तो उन जानवरों में भी बुद्धि न रखने में
उपमा दी जाती है गधे की. कई
बार हम लोग भी बोल देते हैं
किसी को भी | जो अकल से काम न लें
तो उनके लिए गधे
की उपमा दी जाती है,
की तू गधा है,यानि वह बुद्धिमान नहीं |
अब देखें आप मछली को किसी बर्तन में
काटकर धोएं, और उसी बर्तन को साफ कर
पानी भर कर उस गधे को पीने को दें,वह
उसमे मुह नहीं लगाएगा | कौन तो जिसके पास अकल
नहीं, और यह इन्सान अकलमन्द हो कर
भी नहीं जान
पाया की हमारा खुराक क्या है क्या नहीं ?
जो की गधा जान गया की जिस बर्तन में तुझे
पानी दिया गया वह तेरा खुराक नहीं, और
यह इन्सान होकर भी नहीं जान
पाया की तेरा खुराक क्या है क्या नl
हाय रे इन्सान कहलाने वाले तू अपने बुद्धिमान होने का परिचय कब
तकदे सकेगा? —
Pls share your ALL frends .. who love u most

1 comment:

paulapaap said...

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