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Reality of Sanjeev Bhatt

भारतीय मीडिया :: तुम हमे बोटी दो !! हम तुम्हारे लिए भौकेंगे !!


मित्रों आखिर मिडिया इस बात को क्यों नहीं बता रहा है कि संजीव भट्ट मामले की सुनवाई के दौरान अदालत मे उनके उपर क्या टिप्पणियाँ कर रहा है ? और उनके वकील की किन किन सवालों पर बोलती बंद हों जा रही है ? और अगर संजीव भट्ट निर्दोष है तो फिर नयायपालिका उन्हें आखिर अब तक जमानत क्यों नहीं दिया ?



१- अदालत मे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त एफिडेविट जाँच अधिकारी ने अपना बयान दर्ज करवाया की संजीव भट्ट ने जो एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट मे दिया था वो जाँच मे फर्जी पाया गया .

२- जज साहब के सामने संजीव भट्ट की पूरी गुनाहित हिस्ट्री सुबूतो के साथ पेश की गयी . जिसमे सुमेर सिंह राजपुरोहित नार्कोटिक्स केस , जामनगर मे हिरासत मे पीट पीट कर हत्या केस , पोरबंदर के कमलानगर थाने मे दर्ज एक व्यक्ति को पूछताछ के दौरान बिजली के करंट देकर आजीवन लकवाग्रस्त बना देने का केस , आदि गवाहों से साथ पेश किये गए . जिन्हें देखकर तो जज साहब भी चौक गए .

३- पोरबंदर के जिस व्यक्ति को संजीव भट्ट ने बिजली के करंट दिए थे वो खुद अदालत मे अपना बयान दर्ज करवाने का अपील किया . ये मामला १० साल पहले का है .

४- एक बार जब जज साहब ने टिप्पणी किया कि सबकी याददाश्त आमतौर पर उम्र के साथ कमजोर होती जाती है लेकिन आशचर्य है कि संजीव भट्ट की यादाश्त उम्र बढ़ने के साथ और मजबूत होती जा रही है .. इस पर तो पूरा अदालत हँसी से भर गया .

५- उनके वकील ने दलील दिया कि संजीव भट्ट जब साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट थे तब हरेन पंड्या के हत्यारों ने उनसे कई खुलासे किये थे . इसलिए मोदी सरकार उनको प्रताड़ित कर रही है .

लेकिन ८ साल के बाद अब क्यों संजीव भट्ट को वो खुलासे याद आ रहे है ? उसी समय उन्होंने ये खुलासे क्यों नही किये ?

६- जिस कैदी के हवाले संजीव भट्ट के खुलासे करने का दावा कर रहे है उसने साफ इंकार कर दिया उसने मिडिया मे कहा कि उसने कभी संजीव भट्ट को कोई बात नहीं बताई थी .

७- के डी पंथ ने भरी अदालत मे अपना बयान दिया की संजीव भट्ट जबरजस्ती उसको अर्जुन मोधवाडिया के बंगले पर ले गए थे और वहा कई कागजों पर दस्तखत करवाए गए .

उसने साफ साफ कहा कि वो एक मामूली कांस्टेबल है और संजीव भट्ट एक सीनियर आईपीएस है इसलिए वो एकदम डर गया था . उसने अपने पछ मे कई सुबूत पेश किये .. इस बात पर पहले तो संजीव भट्ट के वकील पहली सुनवाई मे इंकार कर रहे थे लेकिन सुबूतो के सामने आने के बाद उन्होंने दलील दिया कि पंथ संजीव भट्ट के साथ अपनी मर्जी से गया था .

८- सरकारी वकील ने दलील दिया कि अगर राज्य सरकार की मंशा संजीव भट्ट को प्रताडित करने की होती तो अब तक सरकार संजीव भट्ट के उपर चलने वाले सभी मुकदमो को फास्ट ट्रेक कोर्ट मे भेज देती .. हिरासत मे हुयी मौत के केस मे मोदी सरकार ने संजीव भट्ट के पछ मे इस मामले को फास्ट ट्रेक कोर्ट मे ना भेजने की दलील दिया था .

मित्रों , मीडिया मे कुछ मोदिफोबिया से पीड़ित लोग कांग्रेस के द्वारा खरीदी हुई मीडिया मे बार बार मोदी सरकार को इस मामले मे दोषी बता रहे है .. जबकि इस देश मे सबको मालूम है की कार्यपालिका , व्यथापिका और नयायपालिका ये तीनों अपने आप मे स्वतंत्र है .. कोई भी राज्य सरकार कभी सुप्रीम कोर्ट को तो नहीं प्रभावित कर सकती ? आज पूरी कांग्रेस और केंद्र सरकार संजीव भट्ट के साथ खड़ी है , खुद संजीव भट्ट एक सीनियर आईपीएस है अदालत मे चितंबरम के भेजे हुए आईबी और एन आई ए के अधिकारी भी थे .

मित्रों अगर संजीव भट्ट निर्दोष होते तो इतने काबिल वकीलों के फ़ौज और केंद्र सरकार की पूरी मदद मे वावजूद वो पाच दिन से जेल मे क्यों है ?

अदालत के बाहर उनके कई रिश्तेदार आपस मे बाते कर रहे थे कि जब पिछले एक साल से उनके घर कई कांग्रेसी नेताओ खासकर अहमद पटेल का जब खूब आना जाना शुरू हुआ तभी उनके रिशेदार चिंतित हों गए थे . कई रिश्तेदारों ने उनको समझाने की कोशिश भी की ..लेकिन आज नतीजा सबके सामने है .

असल मे अब कांग्रेस ये बात अच्छी तरह समझ चुकी है कि वो अब अपने दम पर इस जन्म मे गुजरात मे कभी सत्ता मे नहीं आ सकती और कांग्रेस ने नेता पिछले बीस साल से सत्ता के लिए तड़प रहे है जैसे एक ड्रेकुला खून पीने के लिए तडपता है इसलिए कांग्रेस ने संजीव भट्ट के सहारे और मीडिया को मैनेज करके गुजरात की सत्ता पाने का एक गंदा खेल खेला . जिसमे बेचारे संजीव भट्ट बलि का बकरा बन गए